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पहाड़ों से हैं दूर तो घर पर जरूर ट्राई करें ‘पहाड़ी कापला’ बनाने की यह विधि

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कापलु या कापली उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध पारंपरिक व्यंजनों में से एक है,और यह उत्तराखंड में काफी लोकप्रिय है। जिसे कई तरह की हरी सब्जियों जैसे राई, पालक कंडाली,ढोलन(कंडाली की एक प्रजाति)आदि को उबाल कर चावल के मांड के साथ मिलाकर बनाया जाता है. पहाड़ों में इसे बनाने की अलग-अलग विधियां हैं और यह अलग अलग तरीकों से भी बनाया जाता है,अगर आप इसे केवल कंडाली से बनाएंगे तो ये “कंडाली कु साग” कहलायेगा।
तो चलिये आज हम आपको बताएँगे की आप भी अपने घर पर कैसे आसानी से यह पहाड़ी कापला बना सकते हैं

सामग्री

  • सरसों का तेल : 1/2कप
  • साबुत लाल मिर्च : 3-4
  • लहसुन की फलियाँ : 4 /5
  • भांग के बीज(hemp seed) : 1/2 चम्मच
  • धनिया साबुत : 1/2 चम्मच
  • मिर्ची पाउडर : 1/2चम्मच
  • धनिया पाउडर : 1/2चम्मच
  • हल्दी पाउडर : 1/2चम्मच
  • नमक :-स्वाद अनुसार
  • चावल का मांड : 2 कप
  • राई के पत्ते : 1/2 गड्डी
  • कंडाली के पत्ते : उपलब्धता अनुसार     
  • पालक : 1/2 गड्डी

बनाने की विधि

  • सबसे पहले  ऊपर दी गयी सामग्री को इक्कठा कर लें.
  • फिर सभी हरी सब्जियों को अच्छे से धो कर अलग से लोहे की कड़ाई में उबाल दें.
  • इसी बीच चावल पकाने के लिए रख दें और उनका मांड ( उबला हुआ पानी) निकालें.
  • उसके बाद सब्जी को छान लें और दरदरा पीस लें ( छाना हुआ पानी अलग रख दें).
  • फिर कढ़ाई में सरसों का तेल डालें और गरम होने तक इंतजार करें.
  • जब तेल गरम हो जाय तो उसमें साबुत धनिया, लहसुन की फलियाँ,सबूत मिर्च और भांग के बीज डाल कर 10 से 20 सेकंड तक हिलाएं.
  • फिर उसमें पिसी हुई सब्जी और मसाले डाल कर कुछ देर पकने दें.
  • जब मसाले पाक जाएं तो उसमें ऊपर से मांड और स्वाद अनुसार नमक डाल कर अच्छे से मिक्स करें.
  • फिर आवश्यकतानुसार उबली सब्जियों का पानी डालें और20 से 30 मिनट तक अच्छे से पकाएं और फिर थोड़ी देर में आपका गरमा-गरम कापलु तैयार है.
  • जरूरी Tips – मांड के लिये पहाड़ी लाल चावल का उपयोग करें ,साथ ही स्वाद की बेहतर करने के लिए पहाड़ी पिसे हुऐ नमक का उपयोग करें.

नोट : अगर आप पहाड़ों से दूर शहरों में हैं तो आप कंडाली के पत्तों की जगह राई के पत्तों से भी यह कापला बना सकते हैं, लेकिन जो स्वाद आपको पहाड़ों में चूल्हे पर कंडाली से बने कापले में मिलेगा शायद आपको वो न मिल पाए लेकिन आप इस विधि का उपयोग कर के पहाड़ी कापले का स्वाद ले सकते हैं.

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