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सेहत के लिए वरदान है कीवी (Kiwi) का फल, एकसाथ है कई बीमारियों की दवा

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कीवी वानस्पतिक नाम #एक्टीनीडिया #डेलीसिओसा (Actinidia deliosa) जो पादप कुल एक्‍टीनीडियासिएइ (Actinidiaceae) से सम्बंधित है। चीन के बाद न्‍यूजीलैंड ने इसकी खेती शुरु की थी। कीवी न्यूजीलैंड का राष्ट्रिय फल है। कीवी को उसका नाम एक पक्षी के नाम से मिला है। भारत में सर्वप्रथम कीवी फल बंगलौर के लालबाग गार्डन में एक शोभाकारी फल वृक्ष के रूप में लगाया गया तथा बाद में (सन्‌ 1967-69) में भारतीय अनुसंधान संस्थान के राष्ट्रीय पादप आनुवांशिक संसाधन ब्यूरो, क्षेत्रीय केन्द्र फागली में लगाया गया। इसके बाद पुनः कई अन्य प्रजातियां न्यूजीलैंड से आयात करके लगाई गई। 

आज यह कम और मध्यम ऊंचाई वाले पहाड़ी क्षेत्रो जैसे उत्तराखण्ड, हिमाचल, सिक्किम, मेघालय, अरूणाचल प्रदेश, नीलगिरी की पहाडियों और अन्य क्षेत्रों में फैल गई है। उत्तराखंड ने इसको खेती की अन्य शीतोष्ण फलों के साथ एक अच्छे भविष्य वाले फल के रूप में अंगीकृत कर लिया है। पिछले कुछ दशकों में कीवी विश्वभर में अत्यन्त लोकप्रिय हो गया है। उत्तराखंड के किसानों को भी कीवी की बागवानी में काफी रुझान दिखा है, इसकी खेती उत्तराखंड के वातावरण के हिसाब से बिल्कुल सही होती है। 

उत्तराखंड में वर्ष 1984- 85 में भारत इटली फल विकास परियोजना के तहत राजकीय उद्यान मगरा टिहरी गढ़वाल में इटली के वैज्ञानिकों की देख रेख में इटली से आयतित कीवी की विभिन्न प्रजातियों के 100 पौधों का रोपण किया गया था जिनसे कीवी का अच्छा उत्पादन आज भी प्राप्त हो रहा है। उत्तराखंड ने पुनः वर्ष 1991-92 में राष्ट्रीय पादप अनुवांशिक संस्थान फागली शिमला हिमाचल प्रदेश से कीवी की विभिन्न प्रजातियों के पौधे मंगा कर प्रयोग के ल‍िए राज्य के विभिन्न उद्यान शोध केंद्रों यथा चौवटिया रानीखेत, कोठियालसैण (चमोली) चकरौता (देहरादून) पिथौरागढ़, डुंण्डा (उत्तरकाशी) आदि स्थानों में लगाये गये जिनसे उत्साहवर्धक कीवी की उपज प्राप्त हुई। राज्य में कीवी बागवानी की सफलता को देखते हुए कई बागवानों ने बागवानी बोर्ड व उद्यान विभाग की सहायता से कीवी के बाग विकसित किए हैं। 

कीवी फल पेड़ पर उगता है। कीवी का फल देखने में चीकू की तरह का लगता है। कीवी बाहर से भूरे रंग का होता है। जब इसे काटा जाता है तो यह अंदर से हरे रंग का होता है। कीवी के पेड़ों की लंबाई लगभग 9 मीटर होती है। अंगूर की बेलों की तरह ही इसकी बेलें बढ़ती हैं। किवी फल पर्णपाती पौधा है हमारे राज्य में यह मध्यवर्ती क्षेत्रों में 600 से 1500 मीटर की उँचाई तक सफलतापूर्वक उगाया जा सकता है। क्‍योंक‍ि इन क्षेत्रों की जलवायु व परिस्थितियां इसके अत्याधिक अनुरूप है। कीवी फल में फूल अप्रैल में आते हैं और उस समय पाले का प्रकोप फल बनने में बाधक होता है। अतः जिन क्षेत्रों में पाले की समस्या है वहां इस फल की बागबानी सफलतापूर्वक नहीं हो सकती, वे क्षेत्र जिनका तापमान गर्मियों में 35 डिग्री से कम रहता है तथा तेज हवाएं चलती हो, लगाने के लिए उपयुक्त हैं। कीवी के लिए सूखे महीनों मई-जून और सितम्बर अक्टूबर में सिंचाई का पूरा प्रबन्ध होना चाहिए। 

कीवी फल में नर व मादा दो प्रकार की किस्में होती है। अधिकतर एलीसन, मुतवा और तमूरी नर किस्में बाग मे लगाई जाती है। एवोट, एलीसन ब्रूनों, हैवर्ड और मोन्टी मुख्य मादा किस्में है। एलीसन व मोन्टी जिसकी मिठास सबसे अधिक होती है। कीवी दो प्रकार की होती है- ग्रीन कीवी और गोल्ड कीवी। ग्रीन कीवी अंदर से हरे रंग का होता है जिसमें एंटीऑक्सीडेंट की मात्रा बहुत ही कम पाई जाती है जबकि गोल्ड कीवी अंदर से गहरे पीले रंग का होता है। ग्रीन कीवी से बहुत ज्यादा स्वस्थ और रसीली होती है। कीवी का फल भूरे रंग का, लम्बूतरा, मुर्गी के अण्डे के आकार का होता है। छिलके पर बारीक रोयें होते हैं, जोकि फल पकने पर रगड़ कर उतारे जा सकते हैं। कीवी रेशेदार व फल गूदा हल्के हरे रंग का होता है व इसमें काले रंग के छोटे-छोटे बीज होते हैं। कीवी खाने में बहुत ही स्वादिष्ट और रसीला फल होता है। फल पकने के बाद छिलके को उतारकर सारा फल (बीजों सहित) खाया जाता है। यदि फल अधिक पककर गल जाए तो इसे छेद करके आम की तरह चूस कर भी खाया जा सकता है। इसके अलावा कीवीफल से जैम, स्क्वेश, आसव तथा सुखाकर पापड़ और कैण्डी के रूप में भी प्रयोग में लाया जा सकता है। कीवी में इतनी शक्ति है की यह बीपी, कोलेस्ट्रोल, चिकनगुनिया, डेंगू, त्वचा, अनिंद्र, पाचन तंत्र, इम्युनिटी सिस्टम, रक्त, गर्भावस्था, श्वसन, दर्द, ह्रदय, डायबिटीज, वजन आदि को स्वस्थ और संतुलित रखने के गुण पाए जाते हैं।

कीवीफल के 100 ग्राम खाने योग्य भाग में क्रमशः ठोस पदार्थ 15.20 प्रतिशत, अम्ल 1-1.6 प्रतिशत, शर्करा 7.5-13.0 प्रतिशत, प्रोटीन 0.11-1.2 प्रतिशत, तथा रेशा 1.1-2.9 प्रतिशत मिलता है। इसके अलावा कैल्शियम 16-51 मिग्रा., क्लोराइड 39-65 मिग्रा., मैग्नीशियम 10-32 मिग्रा., नाइट्रोजन 93-163 मिग्रा., फास्फोरस 22-67 मिग्रा., पोटैशियम 185-576 मिग्रा., सोडियम 2.8-4.7 मिग्रा0, सल्फर 25 मिग्रा. तथा विटामिन-ए 175 आई यू., पॉलीसेकेराइड, कैरोटीनोड, फ्लेवोनोइड, सेरोटोनिन, विटामिन बी-6, विटामिन बी-12, लोहा(.2 मिलीग्राम), तांबा, विटामिन के (1%), विटामिन-सी 80-120 मि.ग्रा. तथा विटामिन-बी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। विटामिन ई, विटामिन के और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम, फोलेट पाये जाते हैं। किवी फल में अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट पाया जाता है। यह एंटी-ऑक्सीडेंट शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा शरीर को विभिन्न बीमारियों से बचाने में मददगार होता है। विटामिन-सी तो नीबू प्रजाति के फलों की अपेक्षा तीन से चार गुना अधिक होता है।

उत्तराखंड में पलायन रोकने व रोजगार की प्रबल संभावना को देखते हुए कीवी इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि जिस समय किवी फल तैयार होता है, उन दिनो बाजार में ताजे फलों के अभाव होता है। इस कारण कास्तकार द्वारा काफी आर्थिक लाभ उठाया जा सकता है। इसे कोर्ड स्टोर में भी चार महीने तक आसानी से सुरक्षित रखा जा सकता है। फलों को दूर भेजने में भी कोई हानि नहीं होती, क्योंकि वह अधिक टिकाऊ है कमरे के तापमान पर इसे एक माह तक रखा जा सकता है इन्हीं कारणों से बाजार में इसको लम्बे समय तक बेच कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। 

विदेशी पर्यटकों में यह फल अधिक लोकप्रिय होने के कारण दिल्ली व अन्य बड़े शहरों मे इसे आसानी से अच्छे दामों पर बेचा जा सकता है। राज्य के आमजन में कीवी फल की स्वीकार्यता अभी तक पूर्णतः नहीं बन सकी है जिस कारण स्थानीय बाजार में यह फल कम ही बिक पाता है बाहर भेजने के लिए इतना उत्पादन नहीं हो पाता कि वाहर का आढ़ती यहां पर आये। दूसरी तरह जहाँ उत्तराखंड में कीवी फल उत्पादन का भविष्य दिखाई देता है वहीं समय पर कीवी फल पौध उपलब्ध न होने तथा तकनीकी जानकारी का अभाव व स्थानीय बाजार में कीवी फलों के उचित दाम न मिल पाने के कारण आज भी कीवी फल उत्पादन व्यवसायिक रूप नहीं ले सका।

#कीवी के महत्वपूर्ण गुण:

#Importance of kiwifruit for improving health. With a great taste, kiwifruits present high antioxidant activity, are good sources of vitamin C, potassium with content almost at the same level with banana and low levels of sucrose. Also, nutritional quality suffers slightly during storage and ripening. Therefore, daily consumption of kiwifruit is a great strategy to prevent different diseases and to cure existing ones.

*कीवी का सेवन करके त्वचा के रोगों से मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि कीवी में विटामिन सी, पॉलीसेकेराइड, एंटीऑक्सीडेंट, कैरोटीनोड पाया जाता है जो त्वचा के लिए बहुत लाभदायक होता है

*आज के समय में लोगों को नींद बहुत ही कम आती है इसलिए उन्हें नींद न आने की समस्या हो जाती है। कीवी मव सेरोटोनिन, फ्लेवोनोइड पाए जाते हैं जो नींद लाने में बहुत ही लाभदायक होते हैं।

*# कीवी में फाइबर बहुत ही समृद्ध मात्रा में पाया जाता है इसलिए यह पाचन तंत्र को ठीक रखता है और कब्ज की समस्या को भी ठीक करता है।

*# कीवी मव एंटी फंगल और एंटी माइक्रोबियल जैसे गुण पाए जाते हैं जो अनेक बीमारियों और संक्रमणों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं। अगर आप कीवी का सेवन करते हैं तो आप अपने शरीर के इम्यून सिस्टम को स्वस्थ रखते हैं।

*#कीवी के सेवन से आंखों की कई बीमारियां दूर रहती है। आंखों की ज्यादातर समस्याएं ऐसी हैं जो इन्हीं ल्यूटिन के नष्ट हो जाने के कारण पैदा होती हैं। इसके अलावा कीवी में भरपूर विटामिन ए पाया जाता है जो आंखों की रोशनी अच्छी रखता है।

*# आप कीवी के सेवन से अपने खून को पतला कर सकते हैं क्योंकि कीवी में आयरन तत्व पाया जाता है जो खून को पतला करता है। आयरन एक बहुत ही जरुरी मिनरल होता है जो हमारे शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण के लिए बहुत ही जरुरी होता है। अगर आप कीवी का सेवन करते हैं तो आप अपने गाढे खून को पतला कर सकते हैं।

*#गर्भवती महिलाओं के लिए कीवी का सेवन बहुत अधिक फायदेमंद होता है क्योनी कीवी का सेवन भ्रूण के अंगों को विकसित करने में बहुत अधिक मदद करते हैं। महिलाओं के लिए फोलिक एसिड पाया जाता है जो महिलाओं के लिए बहुत अधिक फायदेमंद होती है।

*#कीवी में भरपूर मात्रा में फाइबर होता है जो दिल को स्वस्थ रखकर गंभीर बीमारियों से दूर रखता है। इसके सेवन से लिवर, स्ट्रोक, कार्डियक अरेस्ट, हार्ट अटैक अन्य आदि कई गंभीर बीमारियों का खतरा टला रहता है।

#कीवी का सेवन करके आप अपने ह्रदय को मजबूत कर सकते हैं क्योंकि कीवी मव ओमेगा 3 फैटी एसिड, और कैरोटोनोईड पाया जाता है। कीवी में पोटैशियम की मात्रा अधिक होती है, जिससे ब्लड प्रेसर भी कंट्रोल में रहता है। कीवी के सेवन से शरीर में सोडियम का लेवल कम होता है और कार्डियोवस्कुलर रोगों से बचाव होता है। इसके अलावा कीवी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जिससे सूजन की समस्या दूर रहती है।

#जिन लोगों को श्वसन से संबंधित समस्याएं जैसे अस्थमा, खांसी, और फेफड़े जैसी बीमारियों से ग्रस्त हैं तो आप कीवी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि कीवी में विटामिन सी पाया जाता है जो बहुत से रोगों से लड़ने में हमारी मदद करता है। इसलिए अगर आप भी श्वसन संबंधी समस्याओं से ग्रस्त हैं तो कीवी के सेवन से आप अपने आपको इन सभी समस्याओं से आप मुक्ति पा सकते हैं।

#कीवी का सेवन करके आप अपने खून में ग्लूकोज की मात्रा को बढने से रोक सकते हैं जिससे आप ह्रदय से संबंधित रोगों और वजन कम करने में बहुत ही फायदेमंद होती है। अगर आप डायबिटीज से ग्रस्त हैं तो आप कीवी का सेवन कर सकते हैं।

#कीवी में पोटेशियम पाया जाता है जो हड्डियों को मजबूत रखने में बहुत अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

#कीवी का सेवन जमी हुई चर्बी को कम करता है फैट को भी कम कर देता है। इसलिए अगर आपका वजन बढ़ गया है तो आप कीवी का सेवन कर सकते हैं। इसमें कैलोरी काफी कम मात्रा में होती है. इसमें फाइबर भी भरपूर होता है।

#किसी वजह से डेंगू हो गया है तो आप कीवी का सेवन कर सकते हैं क्योंकि कीवी का सेवन करने से आप डेंगू की समस्या को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। डेंगू होने की वजह से आपके खून में प्लेट्स की संख्या कम हो जाती है। प्लेट्स की संख्या को बढ़ाने के लिए आप कीवी का सेवन कर सकते हैं।

#कीवी का सेवन करने से आप खराब कोलेस्ट्रोल को खत्म कर देते हैं और अच्छे कोलेस्ट्रोल की मात्रा को बढ़ा लेते हैं।

#पोटेशियम उच्च रक्तचाप को कम करता है। कीवी मव इसकी भरपूर मात्रा पाई जाती है इसलिए अगर आप उच्च रक्तचाप होने पर इसका सेवन करते हैं तो आप उच्च रक्तचाप को कम कर सकते हैं। इसका सेवन बहुत ही लाभदायक होता है।

#कीवी के सेवन से होने वाले नुकसान:

#हाइपरटेंशन, किडनी या गैलब्लैडर की समस्याओं से जूझ रहे लोगों को कीवी फल नहीं खाना चाहिए। कीवी में मौजूद ऑक्सेलेट्स कॉन्सेंट्रेट होने पर क्रिस्टल बन जाता है जो स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। जिन्हें लेटेक्स एलर्जी हैं, उन्हें भी कीवी का सेवन नहीं करना चाहिए

#इसके अधिक सेवन से एलर्जी जैसी समस्या भी उत्पन्न हो सकती है।

#कीवी का सेवन करने से कभी-कभी पेट दर्द और दस्त जैसी समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।

#आवश्यकता से अधिक उपयोग करने से त्वचा से संबंधित रोग भी हो सकते हैं और मुंह में जलन भी हो सकती है। अगर आपको इसके सेवन से कोई भी समस्या हो तो आप इसका सेवन बंद कर सकते हैं और डॉक्टर के द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन कर सकते हैं।

अंततः यह कहना उचित होगा कि कीवी को न बंदर खाते न सुअर इसे अपनाकर पहाड़ों में रोजगार के अवसर तलाशने बेहतर होंगे ।

कीवी (Kiwi)

* कीवी पेड़ों पर उगने वाला एक फल है

* कीवी देखने में हल्का भूरा, रोएदार व आयताकार, रूप में चीकू फल की तरह होता है

* किवी की फसल की शुरुआत 700 साल पहले चीन में हुई थी

* मूल रूप से कीवी चीन में पाया जाता है

* यह चीन का राष्टीय फल भी है

* चीन के अलावा कीवी की खेती व्यापक रूप से ब्राजील, न्यूजीलैंड, इटली और चिली में की जाती है

* अकेले चीन में विश्व का 56% कीवी फल पैदावार होती है

* इसके पेड़ लगभग 9 मीटर तक लम्बे होते हैं

* कीवी का वैज्ञानिक नाम एक्टिनिडिया डेलीसीसा (Actinidia Deliciosa) है

* इसके फल के विकास के लिए कम से कम 150 सेंटीमीटर वर्षा की जरूरत होती है

* गर्मियों के दौरान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान होने पर सूरज की गर्मी के कारण इसकी फसल खरब हो जाती है

* कीवी के बाहरी भूरे रंग की त्वचा इतनी आकर्षक नहीं हैं पर जब यह दो हिस्सों में काटा जाता है तो इसकी उज्ज्वल हरी त्वचा वास्तव में ताजी और अनूठी लगती है

* किवी फल को अत्यंत पौष्टिक माना जाता है यह विटामिन सी , पोटेशियम और फोलिक एसिड का अच्छा स्रोत है

* कीवी में फाइबर पाया जाता है जो हमारी दैनिक आवश्यकता का लगभग 10% होता है

* किवी फल में विटामिन ई, पोलीफेनॉल्स और कैरोटीनॉयड भी पाया जाता है जो हमारे अच्छे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं

* किवी फल की दो किस्में पाई जाती हैं गोल्ड किवी फल और ग्रीन किवी फल

* गोल्ड किवी फल में अधिक एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और जो हरे किवीफल से अधिक स्वस्थ होते हैं

* कीवी में ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है इसलिए यह मधुमेह के लिए बहुत अच्छा होता है

* 100 ग्राम किवी फल में 61 कैलोरी, 14.66 ग्राम कार्बोहाइड्रेट, 1 ग्राम प्रोटीन, 0.52 ग्राम फेट, 3 ग्राम फाइबर, 25 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड होता है

* कीवी के एक फल का वजन 40 से 50 ग्राम तक होता है

* भारत में इस फल की खेती नैनीताल जिले के रामगढ़, धारी, भीमताल, ओखलकांडा, बेतालघाट, लमगड़ा, मुक्तेश्वर, नथुवाखान, तत्तापानी आदि क्षेत्रों के लिए लाभदायक सिद्ध हुई है

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