उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले से सोशल मीडिया पर एक वीडियो काफी वायरल हो रहा है। जिसमें दो भाई अपनी एक विकलांग बहन को परीक्षा सेंटर से घर ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आपने देखा होगा कि अमूमन एक भाई अपनी बहन को शादी के वक़्त डोली में बिठाकर विदा करता है, लेकिन अपने भाई बहन के रिश्ते की मिशाल देता हुआ यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। वीडियो पिथौरागढ़ जिले के चमाली गांव का है जहां पर भाई अपनी दिव्यांग बहन को दांडी में बिठाकर उसे उसके परीक्षा केंद्र से घर ले जा रहे हैं।
![Pithoragarh News : बहन के सपनों का हौसला बना भाई, त्याग और समर्पण देखकर दुनिया कर रही है सलाम 1](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2022/03/Screenshot_20220330-142108_Gallery.jpg?resize=696%2C988&ssl=1)
आपको बता दें कि इस दिव्यांग बहन का नाम संजना है जो कि जीआईसी चमाली मैं दसवीं कक्षा में पढ़ती है और इस साल अपने बोर्ड की परीक्षा दे रही है। संजना का परीक्षा केंद्र उनके गांव से 14 किलोमीटर दूर शैलकुमारी में है। जहां जाने के लिए वह असमर्थ थी लेकिन अपने भाई की मदद से वह परीक्षा सेंटर पर पहुंच रही है।
चमाली गांव के निवासी पारस कोहली उनकी दोनों बहने सानिया और संजना जीआईसी चमाली में पढ़ते हैं और उनका सेंटर जीआईसी शेलकुमारी में है। पारस और सानिया 12 वीं जबकि संजना दसवीं की बोर्ड परीक्षा दे रही है। अपनी बोर्ड की परीक्षाओं के लिए इन तीनों भाई बहनों ने लोधियागैर में एक कमरा लिया है जहां से जीआईसी शैलकुमारी जाने के लिए संजना को करीब आधा किलोमीटर दूर परीक्षा केंद्र पर ले जाने के लिए पारस और सानिया अपने रिश्तेदारों की मदद से एक डोली के सहारे संजना को परीक्षा केंद्र पहुंचाते हैं।
![Pithoragarh News : बहन के सपनों का हौसला बना भाई, त्याग और समर्पण देखकर दुनिया कर रही है सलाम 2](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2022/03/Screenshot_20220330-142044_Gallery.jpg?resize=696%2C936&ssl=1)
एक भाई का अपनी बहन के प्रति यह सम्मान समर्पण देखकर सोशल मीडिया पर उसकी खूब सराहना की जा रही है वहीं जीआईसी शैलकुमारी के प्रधानाचार्य मोहन प्रकाश उप्रेती ने कहा है कि संजना को परीक्षा के दौरान कोई दिक्कत ना हो इसका भी उन्होंने पूरा ख्याल रखा है।
दिव्यांग संजना के भाई पारस ने कहा कि उनकी बहन संजना एक शिक्षक बनना चाहती है और दिव्यांगता उसके सपनों के आड़े ना आए इसके लिए उन्होंने डोली के सहारे अपनी बहन को स्कूल पहुंचा कर उसके सपनों को साकार करने का प्रयास किया है। उनके पिता का 6 साल पहले निधन हो चुका है वह एक छोलिया नृतक थे और उनकी माता प्राथमिक विद्यालय डूंगरी में भोजन माता के रूप में कार्य करती हैं।