ताजा मामला उत्तराखंड (Uttarakhand) के चंपावत जिले के टनकपुर (जड़ियाखाल ) बूम रेंज का है जहां पर शनिवार रात को एक गुलदार के शावक का शव रोड के किनारे खून से लथपथ हालत में मिला। मृत गुलदार के शावक का पीछे का हिस्सा पूरी तरह से चकनाचूर था। बताया जा रहा है कि रात के अंधेरे में किसी तेज रफ्तार कार चालक ने रोड पार करते वक्त इस गुलदार को टक्कर मार दी थी, जिससे उसकी मौत हो गई।
गुलदार को टक्कर मारने वाले कार चालक की अभी तक कोई पहचान नहीं हुई है। हालांकि वन विभाग द्वारा अज्ञात कार चालक पर मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। जड़ियाखाल के रेंजर गुलजार हुसैन से बात करने पर उन्होंने कहा कि इस गुलदार के शावक की उम्र लगभग 3 महीने की रही होगी।

इससे पहले पिछले ही महीने उत्तराखंड के हल्द्वानी के फतहेपुर इलाके में भी रात के समय एक तेज रफ्तार कार चालक ने एक शेरनी को टक्कर मारकर कुचल दिया था। जिसमें उसने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। वहीं नवंबर के महीने में ऋषिकेश के भरत विहार के मुख्य द्वार के पास भी एक 4 साल के गुलदार का शव खून से लथपथ मिला था। जिसकी मौत भी वहां तेज रफतार वाले वाहन की चपेट में आने से हुई थी।

उत्तराखंड में लगातार बढ़ रही इस तरह की घटनाएं परेशान करने वाले हैं खासकर तब जब तक सरकार वन संरक्षण और वन्य जीवो के लिए कई योजनाएं तैयार करने पर लगी है। वन्य जानवर अब वनों में इंसानी दखल अधिक हो जाने से शहरों और गांव बस्तियों की तरफ अपना रुख कर रहे हैं जिससे कि वह कभी कबार इंसानों पर भी हमला कर देते हैं। इंसानों का जंगलों की और बढ़ते हस्तक्षेप के बाद ही इस तरह की घटनाएं बढ़ रही हैं। अगर इसी तरह की घटनाएं बढ़ती रही तो यह वन विभाग और उत्तराखंड सरकार के लिए भी एक चिंता का विषय है। जंगली जानवरों की सुरक्षा के लिए वन्य इलाकों में वन विभाग को रात के समय वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

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