कहते हैं कि अगर इंसान ठान ले तो वह क्या कुछ हासिल नहीं कर सकता है, जी हां एक तरफ कोरोना महामारी के चलते हर जगह लॉक डाउन है और लोग अपने अपने घरों में कैद हैं तो वहीं उत्तराखंड में एक गाँव ऐसा भी है जहाँ इसका बिल्कुल उलट देखने को मिला है और यह गांव है उत्तराखंड मैं पौड़ी जिले के यम्केश्वर ब्लॉक काबीर काटल गांव जो कि राज्य निर्माण के 19 साल बाद तक भी रोड से वंचित था। लेकिन लॉकडाउन के इस समय का यहां के लोगों ने मिलकर सही सदुपयोग किया है।
आपको बता दें कि यहां के स्थानीय निवासियों ,क्षेत्र पंचायत सदस्य और शहरों से गांव लौटे युवाओं ने मिलकर मुख्य सड़क से गांव तक कई चट्टानों को काटकर ढाई किलो मीटर लंबी रोड का निर्माण करके उसे अपने गांव तक पहुंचाया है।
क्षेत्र पंचायत सदस्य और पूर्व सैनिक सुदेश भट्ट ने कहा कि उन्होंने और ग्रामीणों ने मिलकर इस समय का सदुपयोग किया और उनके गांव तक इस रोड को पहुंचाया हालांकि जब उन्होंने इस रोड का निर्माण शुरू किया था तब उन लोगों ने मिलकर 45 दिन का लक्ष्य रखा था लेकिन लोगों की रात दिन कड़ी मेहनत से यह लक्ष्य मात्र 27 दिन में ही पूरा हो गया और अब 27 दिन बाद यह रोड पूरी तरह से मोहनचट्टी से लेकर बीर काटल गांव तक लोगों के लिए उपलब्ध है। इस निर्माण की चर्चाएं तो सोशल मीडिया में पिछले कई दिनों से चल रही थी लेकिन आज अंततः जब यह कार्य सफल हुआ तो वाकई गांव वालों के लिए और इस निर्माण कार्य में जुटे तमाम लोगों के लिए यह गर्व का पल था साथ ही सुरेश भट जी ने बताया कि उन्होंने इस सड़क का काम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी स्वर्गीय चंदन सिंह बिष्ट जी को समर्पित किया है इस घटना के बाद यह कहना बिल्कुल उचित होगा कि अगर इंसान ठान ले तो वह अपने संघर्ष के बल पर कठिन से कठिन काम भी आसानी से पूरा कर सकता है जैसा कि इन ग्रामीणों ने मिलकर एक नई मिसाल पेश की है।