“अपना सामान पैक कर ले दोस्त, कल सुबह तू अपने घर होगा…” बॉलीवुड के अभिनेता ‘कम’ मसीहा सोनू सूद की ये कालजयी पंक्तियाँ ट्विटर पर तैर रही हैं। कोरोना वायरस महामारी के साथ जो एक लहर ख़बरों से नहीं हट रही वो है बॉलीवुड अभिनेता सोनू सूद (Sonu Sood) की लहर। फिलहाल सोनू सूद (Sonu Sood) आईटी विभाग के ‘सर्वे’ के कारण चर्चा में हैं।
सोनू सूद के घर और दफ्तर समेत 6 ठिकानों पर इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की रेड लगातार चल रही है। छापेमारी की वजह जो बताई जा रही है, वो ये है कि IT डिपार्टमेंट को इस छापेमारी में पर्सनल फायनेंस से जुड़े किसी मामले में टैक्स की गड़बड़ी की जानकारी मिली है।
फ़िल्म की शूटिंग के लिए सोनू सूद ने जो पैसे लिए थे, उनमें भी अनियमितताएँ पाई गई हैं। इसके बाद इनकम टैक्स विभाग सोनू सूद के चैरिटी फाउंडेशन के अकाउंट की जाँच भी कर रहा है। इस फाउंडेशन का नाम है ‘सूद चैरिटी फाउंडेशन’ (Sood Charity Foundation)।
सितंबर, 2021 तक सोनू सूद की कुल संपत्ति 17 मिलियन डॉलर, यानी 130 करोड़ रुपए बताई जा रही है। लोगों का कहना है कि इनकम टैक्स विभाग को ‘मसीहा सोनू सूद’ के घर से क्विंटलों इंसानियत और ईमानदारी बरामद हुई, जबकि कुछ लोगों का कहना है कि इनकम टैक्स की टीम के हाथ सोनू सूद के घर से हजारों फ़ेक ट्विटर ID लगी हैं जिनसे ‘चाय पीकर जाना दोस्त..’ वाले आधे ट्वीट लिख कर रखे हुए थे।
अब फ़ेक ID वाले चुटकुलों का जिक्र आ ही गया है तो शुरुआत करते हैं कोविड महामारी के बाद प्रवासियों के पलायन से। यही वो समय था, जब सोनू सूद ना जाने कहाँ से सामने आए और हर किसी को अपना सामान बाँधने की सलाह देने लगे।
दावे किए जाने लगे कि सोनू सूद ने कई प्रवासियों को उन्हें घर पहुँचने में मदद की। इसके बाद पहली और दूसरी लहर में सोनू सूद नाम के इस मसीहा की मसीहाई फिर चर्चा में आ गई। सोनू सूद कोरोना संक्रमितों का इलाज मुफ्त देने का दावा करने लगे।
उन्होंने कहा कि वो ऑक्सीजन देने के साथ-साथ ऑक्सीजन प्लांट भी लगवाएँगे। ट्विटर पर अचानक उनसे दवा, अस्पताल, बेड और थर्मामीटर जैसे उपकरण माँगने वाले अकाउंट की बाढ़ आ गई और फिर दो-चार दिन में ये अकाउंट गायब भी होते रहे। सोनू सूद की मसीहाई धीरे-धीरे एक पहेली बन गई।
इसमें कोई शक नहीं है कि सोनू सूद एक मेहनती और अच्छे अभिनेता रहे हैं लेकिन उनकी इस ‘मसीहा’ वाली इमेज की शुरुआत हुई मई, 2020 के दूसरे हफ्ते से। ये तब की बात है जब पहला कोरोना लॉकडाउन लगभग खत्म होने जा रहा था।
ठीक इसी दौरान, उत्तराखंड के भी कुछ प्रगतिशील लोगों द्वारा ‘लोगों की मदद’ निजी हेलीकॉप्टर से की जाने लगी। एक थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर किसी गाँव भेजने के लिए पाँच-दस लोगों का एक दल हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल करते कई दफ़ा देखा गया।
मजे की बात ये है कि ये दल भी सोनू सूद से जुड़ा हुआ है और दावे करता है कि कुछ लगभग रिटायर हो चुके भारतीय क्रिकेटर से लेकर बॉलीवुड के कुछ कब के रिटायर हो चुके कलाकार इनके परम मित्र हैं। लेकिन चूँकि यह महामारी के बीच की जाने वाली मदद थी, इसलिए इन सभी प्रयासों की सराहना सोशल मीडिया पर की जाने लगी।
सवाल ये उठता है कि एक फिल्म अभिनेता, फिल्मों के अलावा बाकी सब कुछ कैसे और क्यों कर रहा है? फ़िल्में भी साउथ इंडियन और उसमें भी एक ऐसे जोकर गुंडे का रोल, जिससे उसके गुर्गे भी नहीं डरते। और फिर ऐसे समय में, जब पूरी इंडस्ट्री की अर्थव्यवस्था ही ध्वस्त हो गई है, तब सोनू सूद ने कौनसा ऐसा रुपयों का पेड़ हिला डाला या चिराग घिस डाला कि सबकी लाइफ ‘झिन्गालालाला’ करने के ख्वाब बेचने लगा?
आखिरकार वो नाजुक घड़ी भी आई और दूसरी लहर के बीच ही माननीय कोर्ट ने कोविड के दौरान जीवनरक्षक दवा बाँटने वालों पर संज्ञान लिया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने सवाल उठाए कि ऐसे समय में, जब लोग जीवनरक्षक दवाओं के लिए यहाँ-वहाँ भटक रहे थे, तब इन लोगों द्वारा दवाओं का भण्डारण क्यों किया गया? क्या सिर्फ नाम कमाने के लिए? कोर्ट ने पूछा कि जो दवाएँ बाँटी गईं वो किस के परामर्श पर उन्होंने लोगों को दीं? कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए पूछा कि वो दवाएँ सही थीं भी या नहीं इस बात की पुष्टि कौन करेगा?
बॉम्बे हाईकोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को कोविड-19 की दवा पहुँचाने के मामले में स्थानीय कॉन्ग्रेस विधायक जीशान सिद्दिकी और अभिनेता सोनू सूद की भूमिका की जाँच करने के आदेश दिए थे। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा कि सेलेब्रिटी अपने आपको मसीहा की तरह पेश कर रहे थे, जबकि उन्होंने इस बात की भी पुष्टि नहीं की कि क्या दवाइयाँ नकली हैं या क्या वह उन तक अवैध तरीके से तो नहीं पहुँचाई जा रही हैं?
क्या है मसीहा की मसीहाई के पीछे बिजनेस
मई, 2020 में बड़ी संख्या में प्रवासी मजदूर वर्ग देश के औद्योगिक केंद्रों से अपने घरवापसी का रास्ता देख रहा था। ऐसे में PR एजेंसी ने कॉरपोरेट के सहयोग से मीडिया के जरिए मार्केट में एक ‘सच्चा हीरो’ लॉन्च किया, जिसका नाम था सोनू सूद। वो कभी मजदूरों के लिए बस की व्यवस्था कर रहा था, तो कहीं खाने का अरेंजमेंट। और ये सब संस्थागत तरीके से ट्विटर पर नजर आता रहा।
ट्विटर पर दावे किए जाने लगे कि मोदी सरकार से नहीं, सोनू सूद से मदद माँगी जाए। इस बीच सोनू सूद कॉर्पोरेट के क्षेत्र में भी कुछ कर रहे थे, जो यदि तब बाहर आ जाता तो शायद मसीहा वाली इमेज पर प्रश्नचिन्ह लग जाते।
प्रवासी रोजगार- सिंगापुर से 250 करोड़ रुपए का निवेश
मई, 2020 में सोनू सूद जब ट्विटर पर लोगों की मदद करते नजर आ रहे थे, तभी जुलाई, 2020 में उन्होंने चुपके से अपनी एक नई वेबसाइट लॉन्च कर डाली, जिसका नाम था- ‘प्रवासी रोजगार’।
‘प्रवासी रोजगार’ नाम की इस वेबसाइट में आश्चर्यजनक रूप से सिंगापुर सरकार की ‘टेमसेक’ (Temasek) नाम की एक कम्पनी 250 करोड़ रुपए का निवेश कर देती है।
हैरानी की बात यह है कि सिर्फ सोनू सूद के नाम पर ही इतना बड़ा निवेश हो गया। हैरानी इसलिए क्योंकि इस वेबसाइट की ऐसी कोई विशेष उपलब्धि कहीं धरातल पर नज़र आई नहीं है।
अब आप देखिए कि इस निवेश के तार कहाँ-कहाँ जुड़े हैं। कुछ ही दिन पहले सामने आया कि इस ‘सिंगापुरी निवेश’ के कनेक्शन तो ‘डीबी कॉर्प’ से भी जुड़े हुए हैं। ‘डीबी कार्प’ यानी दैनिक भास्कर समूह। वही निष्पक्ष दैनिक भास्कर समूह जिस पर पिछले दिनों IT विभाग की टीम ने छापा मारा था। इसी वक्त इस निवेश की पोल-पट्टी भी खुली।
वापस आते हैं मसीहा सोनू सूद पर। उनकी वेबसाइट ‘प्रवासी रोजगार’ से एक और कम्पनी भी जुड़ी हुई है और उसका नाम है – स्कूलनेट।
स्कूलनेट
IL&FS (इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड) को आप जानते ही होंगे। दरअसल IL&FS की ‘एजुकेशन एंड टेक्नोलॉजी सर्विसेज लिमिटेड’ ब्रांच को ‘स्कूलनेट’ के नाम से भी जाना जाता है।
सितम्बर, 2020 में ‘इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड’ (IBC) के तहत कर्ज में डूबी IL&FS द्वारा ‘स्कूलनेट’ को फलाफाल टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड (Falafal Technology Private Limited) को बेच दिया गया।
यानी यह स्कीम पहले से ही लगभग सेट थी। बाजार में बस एक नया चेहरा या मसीहा उतारना ही असली मकसद था। ये कुछ ऐसा ही था जैसे एमके गाँधी जी के बारे में कुछ लोग कहते हैं कि उन्होने दक्षिण अफ्रीका से भारत आकर भारतीय दिखने के लिए धोती-लंगोट पहन ली थी और उसके बाद ही सत्य से अपने प्रयोग शुरू किए।
सोनू सूद इस रोल के लिए एकदम फिट था। आम जनता और श्रमिक वर्ग ने उसे अपने से जुड़ा हुआ पाया। 27 अगस्त को दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार ने सोनू सूद को स्कूली छात्रों से जुड़े प्रोग्राम का ब्रांड अम्बेसडर बनाया है। अरविन्द केजरीवाल ने ‘देश के मेंटर्स’ योजना शुरू की है। ये योजना भी सोनू सूद के जरिए ‘स्कूलनेट’ नाम की संस्था तक पहुँच रही है।
अब वापस सोनू सूद की मूल कंपनी और वेबसाइट ‘प्रवासी रोजगार’ पर आते हैं। ये नाम कुछ अटपटा और बेहद ‘ओल्ड स्कूल’ चीज नज़र आता है। समाज का प्रगतिशील यानी ‘वोक’ वर्ग इसमें क्या ही दिलचस्पी लेगा। इसलिए इस कम्पनी का नाम अब ‘गुड वर्कर’ कर दिया गया है।
मसीहा की गुड वर्कर ऐप
गुड वर्कर (GoodWorker) अब एक जॉब प्लेटफॉर्म है। ये जॉब दिलाने वाली ऐप भारत के प्रवासी मजदूरों को नौकरी दिलाने के मकसद से तैयार की गई है। इस ऐप के माध्यम से प्रवासी मजदूर या बेरोजगार घर बैठे नौकरी की तलाश कर सकेंगे।
ख़ास बात ये है कि इसके लिए उन्हें कहीं जाकर नौकरी की तलाश नहीं करनी है, ना ही कही किसी तरह का कोई आवेदन करना है।
बताया जा रहा है कि गुडवर्कर ऐप पर आप मुफ़्त में अपना बायोडाटा यानी रिज्यूम (सीवी) भी बना सकते हैं। गुडवर्कर के साथ इस मुहिम में अमेजन मैक्स हेल्थकेयर, ज़ोमैटो, सोडेक्सो, अमेजॉन, फ़्लिपकार्ट, अर्बन कंपनी आदि सहित नौकरी की तलाश करने वाले और नियोक्ता, यानी एम्प्लायर (जो रोजगार देते हैं) शामिल हैं।
लेकिन सिर्फ ‘गुड वर्कर’ नाम की ऐप ही सोनू सूद का एक खेला नहीं है, सोनू सूद ने पिछले महीने ही ‘Travel Union’ ऐप वालों से भी दोस्ती लगाई है। ये ऐप मेक माई ट्रिप (Make My Trip) की तरह काम करेगी। यानी, एक और बिजनेस।
इस ऐप की ख़ास बात यह है कि ये विशेष तौर पर गाँव में रहने वाले लोगों के लिए काम करेगा। दावा किया जा रहा है कि इस ऐप के माध्यम से दूर-दराज और गाँव के भोले भाले लोग डिजिटल दुनिया का हिस्सा बनने में कामयाब हो पाएँगे और ऐसे ही किसी उद्देश्य से तैयार की गई है।
नई जानकारी ये सामने आ रही हैं कि इसके साथ-साथ मसीहा सोनू सूद का फाउंडेशन अब यूपीएससी की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए कोचिंग छात्रवृत्ति भी प्रदान कर रही है।
यानी अब तक मसीहा सोनू सूद प्रकरण को जहाँ सिर्फ केजरीवाल और अन्य ‘फंड रेजर्स’ ही ‘कैश’ कर रहे थे, अब हो सकता है कि कुछ दिन में सोनू सूद से डिजिटल भारत की मुहिम वाले भी अपना नाम जोड़ना शुरू कर दें।
भले ही लगता नहीं है कि ये फिलहाल होने जा रहा है, क्योंकि अरविन्द केजरीवाल द्वारा उन्हें ब्रांड अम्बेस्डर घोषित करने के कुछ ही दिन बाद सोनू सूद के घर पर इनकम टैक्स ने ‘धप्पा’ मारा है।
भले ही इसका मतलब ये नहीं कि भविष्य को लेकर उम्मीदें ही न लगाईं जाएँ। ‘निष्पक्ष’ दैनिक भास्कर समूह भी पिछले कुछ दिनों से खुद को जबरदस्ती ‘पक्षकार’ साबित करने की कोशिश करता दिख रहा है।
फिलहाल सोनू सूद प्रकरण में सबसे ताजा खबर जो सामने आई है, उसमें बताया जा रहा है कि भाजपा द्वारा सोनू सूद को पद्मश्री अवार्ड ऑफर किया गया था, लेकिन सोनू सूद ने इस पर कोई उत्तर नहीं दिया। हालाँकि, सोनू सूद के करीबी के ये दावे कितने सही और गलत हैं, यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
यह आर्टिकल https://dopolitics.in के वेबसाइट से लिया गया है।