देहरादून। उत्तराखंड मातापिता और वरिष्ठ नागरिको का भरण पोषण तथा कल्याण नियमावली 2007 में वरिष्ठ नागरिकों के हित में किए गए प्राविधानों का पूरे राज्य में कड़ाई से लागू करने की सरकार से की गई मांग। विशेष नियमों का उल्लेख करते हुए संयुक्त नागरिक संगठन के महासचिव सुशील त्यागी द्वारा मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को भेजे ज्ञापन के अनुसार नियमो में जिला पुलिस अधीक्षक, वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और सम्पत्ति के संरक्षण हेतु प्रत्येक पुलिस स्टेशन उसके क्षेत्राधिकार में निवास कर रहे वरिष्ठ नागरिकों की एक अद्यतन सूची विशेष रूप से,जो अकेले रह रहे हों, रखेगा।

पुलिस स्टेशन का/की प्रतिनिधि यथासम्भव सामाजिक कार्यकर्ता या स्वयं सेवक के साथ ऐसे वरिष्ठ नागरिकों के घर पर न्यूनतम माह में एक बार के अन्तराल पर जायेगा और इसके अतिरिक्त उनकी प्रार्थना पर यथाशीघ्र सहायता के लिए जायेगा। स्थानीय पुलिस द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की शिकायतों/समस्याओं पर तुरन्त ध्यान दिया जाएगा। प्रत्येक पुलिस स्टेशन के लिए एक या एक से अधिक स्वयं सेवकों की समिति बनायी जायेगी,जो वरिष्ठ नागरिकों,विशेष रूप से जो अकेले रह रहे हों,और पुलिस तथा जिला प्रशासन के मध्य नियमित सम्पर्क बनाए रखना, सुनिश्चित करेगी।

जिला पुलिस अधीक्षक वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और सम्पत्ति के संरक्षण के लिए उठाये गये कदमों के बारे में नियमित अन्तराल पर संचार माध्यमों (मीडिया) और पुलिस स्टेशनों के माध्यम से व्यापक रूप से प्रचारित कराएगा। प्रत्येक पुलिस स्टेशन में वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध किए गए अपराधों से सम्बन्धित सभी महत्वपूर्ण विवरणियाँ ऐसे प्ररूप पर,जैसा कि आदेश द्वारा राज्य सरकार विनिर्दिष्ट करें, एक अलग रजिस्टर रखा जाएगा। सन्दर्भित रजिस्टर जनता के निरीक्षण के लिए उपलब्ध रहेगा तथा पुलिस स्टेशन का निरीक्षण करने वाला प्रत्येक अधिकारी और रजिस्टर में दिखाई गई प्रास्थिति का अनिवार्यतः पुनर्विलोकन करेगा।

पुलिस स्टेशन प्रत्येक माह की दस तारीख तक पुलिस अधीक्षक को ऐसे अपराध की मासिक सूचना भेजेगा। वरिष्ठ नागरिकों के”विधि निषेध”का उनकी सुरक्षा के हित में व्यापक प्रचार किया जाएगा। ऐसे नागरिकों के अनुरोध पर, घरेलू नौकर हो या वरिष्ठ नागरिकों के लिए कार्य कर रहे किसी व्यक्ति के पूर्ववृत्त का तत्काल सत्यापन किया जायेगा। वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा हेतु उनके पड़ोस में रह रहे नागरिकों,आवासीय कल्याण संघों,युवा स्वयंसेवकों,गैर सरकारी संगठनों के साथ मिलकर सामुदायिक नीति तैयार की जाएगी।

जिला पुलिसअधीक्षक विगत माह की अवधि में वरिष्ठ नागरिकों के विरुद्ध घटित अपराधों की प्रास्थिति के बारे में प्रत्येक माह की 20 तारीख तक पुलिस महानिदेशक और जिला मजिस्ट्रेट को पंजीकृत अपराधों के अभियोजन और उनकी जाँच की प्रगति तथा माह की अवधि में उठाये गये निवारक उपायों की मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा। जिला अधिकारी, रिपोर्ट, नियम 22 के अधीन जिला स्तरीय समन्वयक तथा अनुश्रवण समिति के समक्ष रखवाएगा। ज्ञापन के अंत में अनुरोध किया गया है की सभी प्राविधानों का क्रियान्वयन पर्वतीय जिलों में तो नगण्य है तथा दून में जिललामजिस्ट्रेट/पुलिस अधीक्षक द्वारा प्रशंसनीय कदम उठाए गए हैंइसलिए ये स्तर से नियमों के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु शीघ्र आवश्यक निर्देश जारी कराए।

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