10 दिनों तक चलता है उत्तराखंड का लोकपर्व हरेला (Harela festival)
हरेला पर्व उत्तराखंड के सबसे लोकप्रिय त्योहारों में से एक है
![हरेला ! प्रकृति और पर्यावरण से प्यार का उत्तराखंडी लोकपर्व 1](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2021/07/fb_img_16264045119284027147423645301437.jpg?resize=720%2C360&ssl=1)
हरेला पर्व (Harela festival) उत्तराखंड के सबसे प्रसिद्ध लोक त्योहारों में से एक है। (Popular festival of uttarakhand) सावन के महीने में मनाया जाने वाला हरेला पर्व हरियाली और नई खेती की उमंग और हर्षोउल्लास का पर्व है। इसे उत्तराखंड के गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में काफी धूमधाम से मनाया जाता है। उत्तराखंड में 10 दिनों तक चलने वाले इस लोक पर्व की काफी धूम रहती है और लोग इसे खूब सेलिब्रेट करते हैं।
सावन की संक्रांति से शुरू होने इस लोकपर्व की धूम पूरे पहाड़ों में रहती है। खासकर कुमाऊं क्षेत्र में लोक पर्व हरेला को काफी धूमधाम से मनाया जाता है। (Harela festival in uttarakhand)
![हरेला ! प्रकृति और पर्यावरण से प्यार का उत्तराखंडी लोकपर्व 2](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2021/07/fb_img_16264043873364525811748277474674.jpg?resize=720%2C540&ssl=1)
श्रावण के हिंदू कैलेंडर महीने में मनाया जाने वाला श्रावण हरेला, बारिश के मौसम (मानसून) की शुरुआत का प्रतीक है। हरेला का अर्थ है “हरे रंग का दिन”। यह किसानों के लिए एक शुभ दिन माना जाता है, क्योंकि यह वह दिन है जब वे अपने खेतों में बुवाई का चक्र शुरू करते हैं।
यह उत्तराखंड राज्य के कुमाऊं क्षेत्र के लोगों द्वारा मनाया जाता है। लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती के विवाह के धार्मिक उत्सव का प्रतीक है। गाँव के लोग भगवान शिव और देवी पार्वती की मिट्टी की मूर्तियाँ बनाते हैं। इन्हें डिकारे या दीकार के नाम से जाना जाता है।
![हरेला ! प्रकृति और पर्यावरण से प्यार का उत्तराखंडी लोकपर्व 3](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2021/07/fb_img_16264043457699122103228903649476.jpg?resize=676%2C677&ssl=1)
त्योहार अच्छी फसल और समृद्धि के लिए प्रार्थना के साथ मनाया जाता है।
साल 2020 में, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने 16 जुलाई को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के प्रस्ताव को मंजूरी भी दी थी। मुख्यमंत्री ने एक ही दिन में पूरे राज्य में एक साथ व्यापक वृक्षारोपण करने के निर्देश दिए थे। इसके लिए हरेला पर अप्रतिबंधित अवकाश को सार्वजनिक अवकाश में बदलने का प्रस्ताव रखा गया था। अब हर साल हरेला पर्व पर सार्वजनिक अवकाश रहेगा।
![हरेला ! प्रकृति और पर्यावरण से प्यार का उत्तराखंडी लोकपर्व 4](https://i0.wp.com/www.newsuttarakhand.in/wp-content/uploads/2021/07/harela-17067380021728734484.jpg?resize=875%2C583&ssl=1)
हरेला पर्व के मौके पर उत्तराखंड में कई जगहों पर वृक्षारोपण का कार्यक्रम भी किया जाता है। इस मौके पर कई संस्थओं द्वारा पेड़- पौधे भी वितरित किये जाते हैं।