सपने तो लाखों देखते हैं मगर उन्हें सच वही कर दिखाते हैं जो उनके पीछे दिन रात एक कर देते हैं,और जो जी जान लगाते हैं उन्हें कामयाबी निश्चित ही मिलती है आज हम बात कर रहे हैं मूल रूप से पौड़ी गढ़वाल, रिखणीखाल ब्लॉक के खंदवारी गाँव के रहने वाले दीपक ध्यानी की। यूँ तो उनका बचपन लखनऊ में बिता पर उनका लगाव हमेशा अपने पहाड़ों से जुड़ा रहा।
शुरुआती जीवन
उन्होंने अपनी 12 वीं तक कि स्कूली शिक्षा भी लखनऊ से ही पूरी की और उसके बाद उन्होंने कंप्यूटर साइंस से b.tech कर अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद वह अलग अलग कंपनियों में काम करने लगे। साल 2005 के आसपास वह दुबई चले गए और वहाँ की एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने लगे। दुबई में रहकर भी दीपक ध्यानी नौकरी के साथ साथ कई अन्य सामाजिक सेवा के कामों में खूब बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते रहे। यही वजह है कि आज दुबई में रहने वाला उत्तराखंड का हर व्यक्ति उनको जानता है और उनसे चित परिचित है।
स्यारा का मक़सद
अब आप सोच रहे होंगे कि दुबई में इतनी बढ़िया नौकरी,घर, परिवार सब व्यवस्थित होने के बावजूद भी दीपक ध्यानी को भारत लौटकर स्यारा रेटेल्स खोलनी की क्या जरूरत आन पड़ी।तो इसके पीछे है उनका अपने पहाड़ों की मिट्टी से लगाव ओर अपने उत्तराखंड के लिए कुछ अलग करना।दीपक ध्यानी बताते हैं कि वह चाहते हैं कि उत्तराखंड का चाहे कोई भी व्यक्ति देश के किसी भी कोने में रहे लेकिन उसके घर मे पहाड़ी पकवान जरूर बनें और वह अपनी खेत के उत्पादों का स्वाद जरूर लेता रहे साथ ही वह चाहते हैं कि देश के बाकी किसानों की तरह उत्तराखंड के लोगों को भी खेती से जुड़ा रोजगार मुहैया हो और प्रदेशों में बसे प्रवासी उत्तराखंडी अपने रीति रिवाजों ओर खाना पान की सभ्यता से जुड़े रहें। इसी मकसद को पूरा करने के लिए उन्होंने दिल्ली के इंदिरापुरम से इस स्यारा रिटेल्स की शुरुआत की है ।
स्यारा रिटेल्स का शुरुवाती सफर
हालांकि दीपक ध्यानी के इस स्यारा रिटेल्स का शुरुआती सफर इतना आसान भी नही था।लेकिन कहते हैं कि जब सपना आसमान छूने का हो तो पर्वतों के क्या डरना। दीपक ध्यानी कहते हैं जब जिद्द कर ही ली है तो बुलंद हौंसलों के साथ भला क्या कुछ नहीं हो सकता। आज स्यारा रिटेल्स का सफर धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा है और देश भर के कोने कोने से लोगों के आर्डर आने लगे हैं ।
उत्तराखंड से जुड़ा हुआ हर सामान है मौजूद
स्यारा रिटेल्स में आज पहाड़ी दालें, मसाले, चावल, कोदे का आटा,भंगजीर, भंगलु, अलसी, पहाड़ी गहत,जख़्या, पहाड़ी चिउड़ा, टिमरू के बीज, पहाड़ी अखरोट,पहाड़ी लूण,पहाड़ी नींबू, विभिन्न प्रकार के पहाड़ी आचार, अरसे,व उत्तराखंड की प्रसिद्ध बाल मिठाई के साथ साथ कई अन्य चीजें शामिल हैं। दीपक ध्यानी कहते हैं कि आज देश के अलग-अलग शहरों से उनके पास ऑर्डर आते हैं और उत्तराखंड के लोगों का अपने व्यंजनों के प्रति काफी लगाव भी है,लेकिन शहरों में यह सब उपलब्ध ना होने की वजह से पहाड़ी लोग अपने खेत खलियानों के साथ अपनी संस्कृति से भी दूर हो रहे थे, पर अब हम कोशिश कर रहे हैं और लोगोंके साथ एक लिंक बनाएं हुए हैं।
स्यारा रिटेल्स के साथ साथ शुरुवात भी
दीपक ध्यानी स्यारा रिटेल्स के साथ-साथ एक एनजीओ भी चलाते हैं जिसका नाम है फाउंडेशन शुरुवात। दीपक ध्यानी ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर 9 नवंबर 2006 फाउंडेशन शुरुआत नींव रखी थी। शुरुआत एनजीओ का मकसद है उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के स्तर को बेहतर बनाना और आर्थिक रूप से गरीब ओर असहाय बच्चों को उचित शिक्षा मुहैया करवाना। शुरूवात फाउंडेशन हर साल होनहार बच्चों को उनकी पढ़ाई लिखाई का जिम्मा उठता है और कई होनहार छात्र छात्राओं को स्कॉलरशिप भी प्रदान करता है।
हर साल 200 से अधिक बच्चों को स्कॉलरशिप
फाउंडेशन शुरुवात हर साल 200 से भी अधिक होनहार छात्र-छात्राओं को स्कॉलरशिप प्रदान है। जिनमें से आज कई छात्र छात्राएं स्कॉलरशिप की मदत से अपनी पढ़ाई लिखाई पूरी कर अलग अलग क्षेत्रों में कार्यरत भी हैं।आज स्यारा रिटेल्स ओर फाउंडेशन शुरुवात के साथ 200 से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं और शिक्षा के स्तर को बहेतर बनाने के लिए वह हर साल उत्तराखंड में 800 से 900 बच्चों के साथ मिलकर काम करते हैं।
मंजिल अभी बाकी है
दीपक ध्यानी बताते हैं कि अभी तो उन्होंने दिल्ली से शुरुआत की है लेकिन वह चाहते हैं कि भारत के हर राज्य में उनका स्टोर हो लेकिन उससे पहले वह चाहते हैं कि उत्तराखंड के उत्पादों की सप्लाई ओर उनका उत्पादन मजबूत हो ताकि भविष्य में इनकी गुणवत्ता बनी रहे।
लॉकडाउन में बने मसीहा
जब पूरी दुनिया कोरोनावायरस से डरी और सहमी हुई थी। तब दीपक ध्यानी और उनकी पूरी टीम रात-दिन जी जान से मेहनत करने में जुटी हुई थी। यही वजह है कि जैसे ही भारतीय सरकार की ओर से विदेशों से चुनिंदा फ्लाइट खोले जाने का ऐलान किया गया। वैसे ही बाहर विदेशों में काम कर रहे हजारों युवाओं को सबसे पहले दीपक ध्यानी याद आए और उन्होंने दीपक ध्यानी से भारत आने के लिए संपर्क किया। जिसके बाद दीपक ध्यानी अपनी पूरी के टीम के साथ विदेशों में फंसे उत्तराखंडियों को वापस लाने की मुहिम में जुट गए। परिणाम स्वरुप वह विदेशों में फंसे 500 से भी अधिक उत्तराखंडियों को सकुशल उत्तराखंड लौटाने में कामयाब रहे। पूरे भारत में लॉकडाउन के बावजूद भी दुबई से उत्तराखंड लौटे इन प्रवासियों को उनके गाँव गाँव तक पहुँचाने का जिम्मा भी दीपक ध्यानी ओर उनकी पूरी टीम ने बखूबी निभाया।
कोशिश जारी है
उत्तराखंड के बच्चों के भविष्य को संजोने संवारने और अपनी माटी के लिए योगदान देने के लिए वाकई ऐसा जोश,जज्बा और जुनून होना चाहिए। दीपक ध्यानी की इस मुहिम ओर उनकी सोच- समर्पण को हम भी सलाम करते हैं। अगर आपको भी कभी भविष्य में पहाड़ी दालों, मसालों,चावल या अन्य उत्पाद की आवश्यकता हो तो आप स्यारा रिटेल्स से संपर्क कर सकते हैं,और दीपक ध्यानी जी से जरूर रूबरू हो सकते हैं।
शानदार , दीपक भाई वो काम कर रहे हैं जो मेरे जैसे लाखों युवाओं का सपना है 🙏👏
Good workdeepak sir. Pride of uttarakhand.
Bahut he Sunder
Great Job Mr. Deepak…….Your work will definitely give a boost to new generation to go and think out of the way ……Warm wishes……Ashok kukreti