दिल्ली में पिछले 50 से अधिक दिनों से चल रहे किसान आंदोलन ने आज गणतंत्रता दिवस के मौके पर अचानक से तीव्र रूप ले लिया।
पहले तो किसानों और दिल्ली पुलिस के बीच रजामंदी हुई थी कि किसान अपनी ट्रैक्टर रैली दिल्ली के बाहर वाले इलाकों से निकालेंगे और कोई भी प्रदर्शन नहीं करेंगे। लेकिन सुबह 10:00 बजते हैं अचानक एक साथ हजारों की संख्या में गाजीपुर बॉर्डर से किसान दिल्ली की ओर कूच करने लगे और नारे लगते हुए आगे बढे।


किसान नैरा लगा रहे थे की वह दिल्ली जाकर ही मानेंगे और लाल किला पर अपना झंडा फहराएंगे। दिल्ली आ रहे हजारों किसानों का एक ही मकसद था कि वह दिल्ली के लाल किले पर जाकर प्रदर्शन करेंगे जिसमें वह काफी हद तक कामयाब भी हुए।
अलग-अलग जगहों से दिल्ली आ रहे किसानों पर पुलिस ने लाठियां भी भांजी और आंसू गैस के गोले भी दागे जिसमें कि कई किसान और पुलिसकर्मी भी घायल हो गए। किसानों और पुलिस के बीच हुई हिंसक झड़प में खबर यह आ रही है कि उत्तराखंड की एक प्रदर्शनकारी किसान की भी पुलिस की गोली लगने से मौत हो गई है। सूत्रों के मुताबिक गोली लगने वाले किसान नवनीत सिंह उत्तराखंड के रुद्रपुर जिले के बाजपुर गांव के रहने वाले हैं।


किसान को गोली लगने के बाद उनके साथी उनके शव को लेकर वही आईटीओ चौक पर प्रदर्शन करने लगे और पुलिस पर कार्रवाई की मांग करने लगे। दिल्ली में हिंसक प्रदर्शन के बाद अब किसान नेताओं की जवाबदेही बनती है कि आखिरकार जब उनको रजामंदी ट्रैक्टर रैली निकालने की दी गई थी तो उन्हें इस तरह का प्रदर्शन करने की क्या जरूरत आन पड़ी ? इस सारे प्रदर्शन में जो नुकसान हुआ है उसकी भरपाई कौन करेगा ?
किसानों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए केंद्र सरकार ने ऐतिहात के तौर पर रात 12:00 बजे तक दिल्ली और एनसीआर के आसपास की इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी है और अगले आदेश तक यह रोक जारी रहेगी।


आपको बता दें कि इस पूरे प्रदर्शन पर दिल्ली पुलिस अब किसान नेताओं पर केस करने की भी योजना बना रही है जिसके तहत उन पर देशद्रोह का मुकदमा चल सकता है इस उग्र प्रदर्शन के बाद यह देखना लाजमी होगा कि इस प्रदर्शन की जिम्मेदारी कौन लेता है और दिल्ली पुलिस इस प्रदर्शन पर कितना सख्त रुख अपनाती है

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